लखनऊ: प्रदेश सरकार इस बार 19 लाख से अधिक छात्र-छात्राओं की शुल्क प्रतिपूर्ति करने जा रही है। इनमें 12 लाख अनुसूचित जाति व सात लाख सामान्य वर्ग के गरीब छात्र-छात्राएं शामिल हैं। पिछले वित्तीय वर्ष में 10.78 लाख छात्र-छात्राओं को ही इस योजना का लाभ मिला था। इस बार पात्र सभी छात्र-छात्राओं की शुल्क प्रतिपूर्ति करने का निर्णय किया है। शुल्क प्रतिपूर्ति के बाद यदि बजट उपलब्ध हुआ तो उन्हें छात्रवृत्ति प्रदान की जाएगी। समाज कल्याण विभाग ने इसके लिए नियमावली में जरूरी संशोधन कर दिया है।
दरअसल, प्रदेश सरकार पहले छात्रवृत्ति देती थी, इसके बाद बचे हुए बजट से शुल्क प्रतिपूर्ति करती थी। इस कारण पिछले वर्ष 10.78 लाख छात्र-छात्राओं की ही शुल्क प्रतिपूर्ति हो सकी थी। 1.87 लाख छात्र-छात्राओं को पात्रता के बाद भी शुल्क प्रतिपूर्ति नहीं हो सकी थी। इस कारण काफी संख्या में गरीब छात्र-छात्राओं की पढ़ाई बीच में ही छूट गई थी। इस समस्या को देखते हुए सरकार ने दशमोत्तर छात्रवृत्ति योजना में बदलाव किया है। वर्ष 2019-20 में करीब 26 लाख छात्र-छात्राओं ने आवेदन किया था। इनमें से अब तक 19.22 लाख छात्र-छात्राओं के आवेदन सही पाए गए हैं। इनमें 22 हजार छात्र अनुसूचित जनजाति के शामिल हैं।
समाज कल्याण विभाग सबसे पहले सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले छात्र-छात्राओं की एकमुश्त फीस का भुगतान करेगा। इसके बाद अशासकीय सहायता प्राप्त कॉलेजों में पढ़ रहे छात्रों की शुल्क प्रतिपूर्ति की जाएगी। अंत में निजी कॉलेजों के छात्र-छात्राओं की फीस दी जाएगी। इसके लिए समाज कल्याण विभाग के पास 16 अरब रुपये का बजट है। शुल्क प्रतिपूर्ति के बाद यदि बजट बचा तो छात्र-छात्राओं को अनुरक्षण भत्ते दिए जाएंगे।
प्रमुख सचिव समाज कल्याण मनोज सिंह ने बताया कि अब फीस के अभाव में गरीब छात्र-छात्राओं की पढ़ाई नहीं रुकेगी। जिनके आवेदन सही पाए गए हैं उनकी शुल्क प्रतिपूर्ति की जाएगी। इसके बाद अनुरक्षण भत्ते दिए जाएंगे। बजट कम पड़ा तो मांग की जाएगी। यदि इसमें सफलता नहीं मिली तो नए वित्तीय वर्ष के बजट में अवशेष धनराशि की मांग की जाएगी।
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