नई दिल्ली : प्रस्तावित नई शिक्षा नीति को लागू करने की तैयारियों के बीच स्कूली शिक्षा को मजबूती देने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी ) जैसा एक नियामक बनाने की मांग ने तेजी पकड़ी है।
खासबात यह है कि यह प्रस्ताव मानव संसाधन विकास मंत्रालय से जुड़ी संस्था राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआइओएस) की ओर से आया है। जिसमें केंद्र और राज्यों के बीच बंटी स्कूली शिक्षा को उच्च शिक्षा की तरह एक नियामक के दायरे में बनाने की बात कही है। इसके लिए स्कूली शिक्षा आयोग (एसईसी) नाम भी प्रस्तावित किया है। इसमें शिक्षक शिक्षा (टीचर एजुकेशन) को भी शामिल करने का प्रस्ताव है।
एनआइओएस ने यह प्रस्ताव मानव संसाधन विकास मंत्रालय के साथ सभी राज्यों को भी भेजा है। साथ ही इसे लेकर समर्थन मांगा है। एनआइओएस के अध्यक्ष प्रोफेसर सीबी शर्मा के मुताबिक नई शिक्षा नीति के जरिए सरकार जब पूरी शिक्षा व्यवस्था में बड़ा बदलाव करने जा रही है, तब ऐसे में स्कूली शिक्षा के लिए यूजीसी जैसा एक नियामक होना जरूरी है।
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उन्होंने सरकार को इसके लिए प्रस्ताव दिया है। साथ ही इसे नई शिक्षा नीति में शामिल कर इस पर तुरंत अमल करने को भी कहा है। एनआइओएस के इस प्रस्ताव को शिक्षाविदें ने समर्थन करते हुए सरकार को जल्द आयोग बनाने का सुझाव दिया है।
प्रोफेसर शर्मा के मुताबिक उच्च शिक्षा आज जिस ऊंचाई पर है, उसके पीछे यूजीसी जैसे नियामक की बड़ी भूमिका है। वहीं स्कूली शिक्षा के इस हालत में पहुंचने के पीछे जो बड़ी खामी है, वह इसका कोई एक नियामक का न होना है।
गौरतलब है कि देश भर में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता और उसे मजबूती देने का पूरा जिम्मा मौजूदा समय में यूजीसी के पास है। इनमें केंद्रीय और राज्य के विश्वविद्यालय दोनों ही शामिल हैं।
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