विश्वविद्यालय अपनी मनमर्जी से डिग्री कोर्स शुरू नहीं कर सकते हैं। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने मान्य डिग्री कोर्सेज की सूची से अलावा कोर्स शुरू करने को नियमों का उल्लंघन करार दिया है। इस संबंध सर्कूलर जारी कर सभी विवि से यूजीसी एक्ट का अनुपालन करने के निर्देश दिए हैं।
यह देखने में आया है कि कुछ विश्वविद्यालय यूजीसी के मान्य कोर्स के इतर कोर्स संचालित कर छात्रों को उसकी डिग्री दे देते हैं। जो छात्र के लिए भविष्य में कई तरह की समस्याओं के साथ मुकदमेबाजी का सबब बनताहै। यही वजह है कि यूजीसी ने विश्वविद्यालयों को उसके यूजीसी एक्ट 1956 के अनुच्छेद 22 के द्वारा मान्य डिग्री कोर्स के अनुसार ही छात्रों को डिग्रियां देने के निर्देश दिए हैं। यूजीसी की ओर से जारी पत्र में सभी सेंट्रल एक्ट, प्रोविंसिएल व स्टेट एक्ट तथा डीम्ड विवि से छात्रों को आयोग से मान्य कोर्स की डिग्री ही छात्रों को देने को कहा गया है।
यदि कोई विवि यूजीसी से मान्य डिग्री कोर्स की सूची से अलग डिग्री कोर्स संचालित करने की इच्छता रखता है, तो उसे छह माह पूर्व आयोग से संपर्क करना होगा। साथ ही संबंधित कोर्स को शुरू करने के पक्ष में आयोग के समक्ष तर्क भी प्रस्तुत करने होंगे।
उत्तराखंड राज्य में तो ऐसी कोई समस्या नहीं है। सरकारी और राज्य विवि में तो यूजीसी एक्ट के अनुसार ही डिग्री कोर्स संचालित होते हैं। निजी विवि पर अंकुश लगाने के लिए आयोग का यह सरहानीय कदम है। – डॉ. एनएस चौधरी, कुलपति उत्तराखंड तकनीकी विवि
यूजीसी की सूची में यूजी के 48, पीजी के 35 और डी-फिल के 14 कोर्स मान्य है। इन कोर्स में यूजी स्तर पर बीए, बीएससी, कॉमर्स, इंजीनियरिंग, लॉ व पीजी में एमए, एमएससी के साथ एम.प्लान, एम.आर्क, आयुष शिक्षा आदि कोर्स है। इसके अलावा संस्कृत शिक्षा के 7 अन्य कोर्स भी शामिल हैं। आयोग समय-समय पर नये कोर्स को गजट नोटिफिकेशन कर नये कोर्स को सूची में शामिल करता हैं।
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