नई दिल्ली : केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने अपने सभी स्कूलों को आपस में जोड़ने की पहल की है। स्कूलों को कोलाबोरेटिव लर्निंग हब बनाने जा रहा है।
स्कूलों में हब बनने से यह होंगे फायदे
यह हब एक जुलाई से काम करना शुरू कर देंगे। इसके तहत देशभर के सीबीएसई से संबद्धता प्राप्त स्कूलों को इससे जोड़ जाएगा, जो अपने संसाधनों को अन्य स्कूलों के साथ साझा कर सकेंगे। सीबीएसई इसके लिए स्कूलों का हब बना रहा है, जिसे सीएलएच के नाम दिया है। सीएलएच के तहत देशभर के स्कूलों को हब में बांटा जाएगा। एक हब में पांच या उससे ज्यादा स्कूल शामिल होंगे। एक हब के अंदर आने वाले स्कूल विभिन्न गतिविधियों में एक-दूसरे का सहयोग करेंगे। ये स्कूल क्षमता निर्माण में एक-दूसरे की मदद करेंगे, आपस में मिलकर संयुक्त गतिविधियां कराएंगे। इन स्कूलों के बीच शैक्षिक आदान प्रदान के कार्यक्रम भी होंगे। इससे छात्रों को सीखने के लिए ज्यादा अवसर मिल सकेंगे।
‘ स्कूल हब आपस में खेलकूद की सुविधाओं, प्रयोगशालाओं, सभागारों को भी आपस में साझा करेंगे।
‘ प्रधानाचार्यों और शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण का आयोजन करने के साथ-साथ खेलकूद और सांस्कृतिक कार्यक्रमों, विज्ञान प्रदर्शनियों और क्विज का भी आयोजन करेंगे।
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‘ स्कूल हब को छात्रों के लिए कुछ अहम मामलों जैसे सुरक्षा और सलामती, ऊर्जा और जल संरक्षण, पर्यावरण, डिजिटल नवाचार और मूल्यों एवं नेतृत्व कौशल पर सेमिनारों के लिए भी प्रोत्साहित किया जाएगा।
‘ सभी स्कूल हब अपने आसपास में स्थित औद्योगिक इकाइयों, कारखानों, प्रशासकीय मुख्यालयों, सुरक्षा सेवाओं, उच्च शिक्षा के संस्थानों और बिजनेस हाउस से भी जुड़ेंगे।
‘ आधारभूत ढांचा और शिक्षकों की कमी की वजह से किसी स्कूल में पढ़ाई प्रभावित नहीं होगी। किसी स्कूल में अगर शिक्षक की कमी है तो उसकी पूर्ति दूसरे स्कूल से की जा सकेगी।
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