नई दिल्ली: भारतीय उच्च शिक्षण संस्थान जल्द ही विदेशी शिक्षण संस्थानों से करार करके दोहरी या संयुक्त डिग्री दे सकेंगे. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने इस संबंध में मसौदा तैयार किया है. रिपोर्ट के अनुसार इस मसौदे को अंतिम रूप दिया जा चुका है. लेकिन मसौदे पर अंतिम फैसला सार्वजनिक प्रतिक्रिया मिलने के बाद किया जाएगा.
विदेशी शिक्षण संस्थानों से कर सकेंगे समझौता
यूजीसी के इस मसौदे पर मुहर लगने के बाद छात्र भारतीय शिक्षण संस्थानों में एडमिशन लेने के बाद अपने कोर्स की पढ़ाई किसी विदेशी संस्थान में भी आंशिक रूप से कर सकेंगे. लेकिन डिग्री या डिप्लोमा सर्टिफिकेट भारतीय शिक्षण संस्थान ही देंगे. इस मसौदे के अनुसार, भारतीय उच्च शिक्षण संस्थान क्रेडिट रिकग्नाइजेशन, क्रेडिट ट्रांसफर और दोहरी डिग्री को लेकर विदेशी शिक्षण संस्थानों के साथ समझौते कर सकेंगे. हालांकि यह नियम ऑनलाइन, ओपन व डिस्टेंस लर्निंग पर लागू नहीं होंगे.
दोहरी डिग्री ऑफर करने के लिए होगा ये मापदंड
दोहरी या संयुक्त डिग्री ऑफर करने वाले भारतीय शिक्षण संस्थान को नेशनल असेसमेंट एंड एग्रीडेशन काउंसिल (NAAC) से मान्यता हासिल होनी चाहिए. साथ ही उसके 3.01 अंक होने चाहिए. इसके अलावा नेशनल इंस्टीट्यूशन रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) में 100 शीर्ष विश्वविद्यालय में शामिल हो या इंस्टीट्यूशन ऑफ एमिनेंस की श्रेणी में हो.
ऐसे संस्थान टाइम्स हायर एजुकेशन या क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग में शामिल शीर्ष 500 विश्वविद्यालयों से स्वत: ही करार कर सकते हैं. जबकि अन्य भारतीय एवं विदेशी संस्थानों जिन्हें अपने -अपने देश की नैक जैसी एजेंसी से मान्यता मिली है, उन्हें समझौता करने के लिए यूजीसी की मंजूरी लेनी होगी.
फ्रैंचाइजी खोलने की अनुमति नहीं
प्रस्तावित नियमों के अनुसार साझेदारी के तहत दी गई डिग्री या डिप्लोमा भारतीय उच्च संस्थानों द्वारा दी जाने वाली डिग्री एवं डिप्लोमा के समकक्ष होगा. इसे किसी प्राधिकरण द्वारा समकक्ष घोषित करने की जरूरत नहीं होगी.इसके अलावा विदेशी शिक्षण संस्थानों एवं भारतीय शिक्षण संस्थानों के बीच प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से फ्रेंचाइजी व्यवस्था की अनुमति नहीं होगी.