उच्च शिक्षा संस्थानों को पूंजीगत खर्चों के लिए कर्ज देने के लिए बनी हायर एजुकेशन फाइनेंसिंग एजेंसी (हीफा) की सुस्ती ने ज्यादातर उच्च शिक्षा संस्थानों में काम की रफ्तार पर ब्रेक लगा दी है। हीफा ने डेढ़ साल से अधिक समय में आईआईटी, आईआईएम और एम्स समेत 76 संस्थानों के लिए 25 हजार 564 करोड़ रुपये से अधिक का बजट स्वीकृत किया है, लेकिन इसमें से मात्र 5015 हजार करोड़ रुपये ही अब तक जारी किए गए हैं।
इतना ही नहीं, 26 संस्थानों को तो एक भी रुपया जारी नहीं किया गया है। उच्च शिक्षा संस्थानों की पूंजीगत जरूरत पूरी करने के लिए हीफा का गठन किया गया था। मानव संसाधन विकास मंत्रालय और केनरा बैंक ने मिलकर इसकी स्थापना की है। इसमें वर्ष 2018 की शुरुआत में कर्ज देने का काम शुरू किया था। अब डेढ़ साल का समय बीत जाने के बाद आंकड़ों से पता चला है कि हीफा ने कर्ज तो खासा स्वीकृत कर दिया, लेकिन पैसे जारी करने में अब भी काफी पीछे है। हीफा ने सबसे अधिक 10 हजार 343 करोड़ रुपये विभिन्न आईआईटी के लिए स्वीकृत किए हैं, इसमें से 1770 करोड़ रुपये ही अब तक जारी किए गए हैं।
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आईआईएम के मामले में स्थिति और गंभीर है। प्रबंधन के इन शीर्ष संस्थानों के लिए हीफा ने 2804 करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं, लेकिन सिर्फ 59.17 करोड़ रुपये ही जारी किए गए हैं। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने हिन्दुस्तान से बातचीत में कहा कि हीफा बनाने के पीछे एक उद्देश्य ये भी था कि संस्थानों को समय से पैसा मिल सके, जिससे कि निर्माण की लागत न बढ़े। हीफा में निर्णय लेने में हो रही देरी इस उद्देश्य को धुमिल कर रही है।
किसे मिले कितने पैसे?
संस्थान स्वीकृत राशि जारी राशि (करोड़ रुपये में)
आईआईटी 10343.60 1770.67
एम्स 6503.03 2572.14
एनआईटी 1842.25 345.84
आईआईएम 2804.09 59.17
अन्य 4071.55 267.25
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